माँ मेरी........
माँ मेरी,
कैसे बतलाऊ मै अपना दुख,
जब तुने ही तो हर पल दिया है सुख|
कैसे बताऊ तुझे मेरा नींद ना आना,
जब तेरी ही तो माँढि पर हर एक सपना है देखा|
कैसे बताऊ मेरा डर तुझे,
जब तुने हर वक़्त हाथ है मेरा थामा|
कैसे बताऊ तुझे मेरे अंधेरे का डर,
जब तेरे ही साये मे मैने अपने आप को मेहफ़ूज है पाया|
कैसे कुछ कह पाऊ तुझे मै अपने बारेमे,
जब तुने ही मुझे सही मायने में है पहचाना||
Comments
Post a Comment