भर ले तू भी अपनी उड़ान

बंद घडी भी दिन मै दौ बार सही वक़्त बताती है,
अपना काम वो बंद हो कर भी कर जाती है|
अब क्या बहाना है तेरा, ओ परिंंदे?
जा भर ले तू अपनी वो उड़ान,
आसमान की उचाईया भी तेरा नाम पुकारती है|

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